कलावा (मौली) क्यू बाधा जाता है व इसका धार्मिक व वैज्ञानिक कारण क्या है

कलावा(मौली) क्यू बाधा जाता है व इसका धार्मिक व वैज्ञानिक कारण क्या है


 

हिंदू धर्म में किसी धार्मिक अनुष्ठान हो या पूजा-पाठ लगभग सभी अवसर पर लोग अपने हाथ की कलाई पर लाल धागा बांधते हैं, जिसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। कई लोग इसे 'मौली' करते हैं, तो कई लोग कलावा और कंगन के नाम से भी जानते हैं।
लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि आखिर पूजा-पाठ के बाद मौली यानी कलावा क्यों बांधते हैं, इसका क्या महत्व है। अगर आपका जवाब नहीं है तो चलिए आज आपको इस सवाल से छुटकारा देते हुए कलावा के महत्व को लेकर कुछ जरूरी बाते बताते हैं।
आपको बता दें कि कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है कि इसे बांधने के धार्मिक महत्व के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्व भी है।

क्या है रक्षा सूत्र का महत्व;- 
"येन  बद्धो बली  राजा  दानवेन्द्रो  महाबलः।
तेन त्वामभिबध्नामि रक्षे माचल  माचल।।" 

अर्थ :-  जिस रक्षासे  महाबली  दानवेन्द्र बली राजा बांधा था तुझे  मैं उसीसे बांधता  हूँ। 
             रक्षे! तुम हर तरह अचल रहना।।
ब्राह्मडोंको  पूजकर, ब्राह्मड, क्षत्रिय, वैश्य,और  शूद्र तथा दूसरे लोग रक्षाबन्धन करें। जो इस विधिसे रक्षाबन्धन करता हैं वह एक वर्ष भर निर्दोस सुखी रहता हैं। भद्रा  में रक्षा सूत्र कलावा(मौली)  नहीं बांधना चाहिये । पर्व,  त्यौहार, मांगलिक कार्य   के अलावा मंगलवार व शनिवार को  भी रक्षा सूत्र कलावा(मौली) बांधना चाहिये।।

माना जाता है कि असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बाधा था । रक्षाबंधन का प्रतीक माने जाने वाले रक्षा-सूत्र को माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए ये बंधन बांधा था।

क्या है रक्षा सूत्र यानी मौली का अर्थ
जानकारों के अनुसार 'मौली' का अर्थ होता  है 'सबसे ऊपर', क्योंकि मौली को कलाई में बांधते हैं इस लिए इसे कलावा भी कहते हैं। वेसे इसका वैदिक नाम उप मणिबंध भी है। कहा जाता है कि शंकर भगवान के सिर पर चन्द्रमा हैं, यही कारण है कि उन्हें चंद्रमौली भी कहा जाता है।
मौली कच्चे धागे से बनती है, जिसमें मूलत: 3 रंग के धागे (लाल, पीला और हरा)का प्रयोग होता है, लेकिन कभी-कभी ये 5 धागों की भी बनाई जाती है, जिसमें नीले और सफेद रंग के धागों का भी प्रयोग किया जाता है, यानी इसका  सीधा मतलब ये बताया जाता है कि 3 यानी की त्रिदेव के नाम पर और 5 यानी की पंचदेव के नाम पर इसे  बांधा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार मौली बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु, महेश और तीनों देवियों- लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती की कृपा बरसती है।
जानकारों का मानना है कि पुरुष और अविवाहित युवतियों को इसे दाएं हाथ में बांधना चाहिए
जबकि विवाहित महिलाओं को बाएं हाथ में बांधना चाहिए
इसे बंधवाते समय आपकी मुट्ठी बंधी होनी चाहिए और आपका दूसरा हाथ सिर पर रखा होना चाहिए
मौली बांधने के लिए किसी  खास स्थान की जरूरत नहीं होती है, इसे  कहीं पर भी बांध सकते है, लेकिन इतना ध्यान रहे कि इस सूत्र को केवल 3 बार ही लपेटते हैं। हालांकि अब लोग इसे फैसन के तौर पर भी बांधते है, ऐसे में लोग इसे कई बार लपेटते हैं।

इसके वैज्ञानिक लाभ भी हैं
बताया जाता है कि हाथ, पैर, कमर और गले में मौली बांधने से आपको स्वास्थ लाभ भी होता है, जैसे कि इससे त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। इसके बांधने से ब्लड प्रेशर, हार्टअटैक, डायबिटीज और लकवा जैसे गंभीर बीमारियों से बचाव करने में भी लाभ होता है।

M.Com, M.A.Sanskrit

टिप्पणियाँ

  1. यह एक बहुत ही प्रसन्नता पूर्ण कार्य है हमें एसी सटीक जानकारी वह भी मंत्र व उसके अर्थ सहित पहले कहिसे प्राप्त नहीं हुई उस जानकारी को प्राप्त करने के लिए धन्यवाद

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