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चतुर्मांसा: स्वास्थ्य, शांति और आत्मनिरीक्षण का समय

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!!श्रीर्जयति!! श्री ललिता महात्रिपुर सुन्दरी श्री श्रीजी शक्तिपीठ मथुरा मांगलिक कार्य व ज्योतिष फलित केंद्र (श्रीविद्या शक्तिपीठ/ श्री यमुनाजी धर्मराज वाले) (महाराजवंश) चतुर्मांसा: स्वास्थ्य, शांति और आत्मनिरीक्षण का समय चतुर्मांसा (या चातुर्मास्य) भारतीय परंपरा में चार महीने की एक महत्वपूर्ण अवधि है, जो आमतौर पर जुलाई से नवंबर तक चलती है। यह समय विशेष रूप से आध्यात्मिक अभ्यास, ध्यान, योग और धार्मिक कृत्यों के लिए समर्पित होता है। चलिए, इस महत्वपूर्ण समय के विभिन्न पहलुओं पर एक नजर डालते हैं। चतुर्मांसा का महत्व चतुर्मांसा का महत्व धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बहुत बड़ा है। यह समय भारतीय मानसून के दौरान आता है, जब प्राकृतिक वातावरण भी परिवर्तनशील होता है। इस दौरान संत और साधु स्थिर होकर एक ही स्थान पर रहकर धार्मिक अनुष्ठान और अध्ययन करते हैं। यह समय आत्मनिरीक्षण, ध्यान और मन की शांति के लिए आदर्श माना जाता है। धार्मिक अनुष्ठान और प्रथाएँ 1. व्रत और उपवास: चतुर्मांसा के दौरान लोग विभिन्न प्रकार के व्रत और उपवास रखते हैं। यह शारीरिक और मानसिक शुद्धि का एक तरीका माना जाता है।   ...